કોઈ કામ માટે ભીતરનો અવાજ ના પાડે તો તે કામ છોડી દેજો, અન્યથા પસ્તાવવાનો વખત આવશે

आयकर प्रभार्य



प्रत्येक व्यक्ति जिसकी कुल आय, आयकर प्रभार्य किए जाने वाले अधिकतम राशि से अधिक होती है, वह निर्धारिती होता है, और इसपर उस संगत निर्धारण वर्ष के लिए वित्त अधिनियम द्वारा निर्धारित दर या दरों के हिसाब से आयकर प्रभार्य किया जाएगा, जो उसके आवासीय स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.आयकर एक ऐसा कर है, जो प्रत्येक व्यक्ति द्वारा पिछले वर्ष में अर्जित कुल आय पर, प्रत्येक निर्धारण वर्ष के लिए केन्द्रीय बजट (वित्त अधिनियम) द्वारा अधिनियमित दर पर देय होता है.इसका बदलाव आय की प्रकृति पर निर्भर करता है, अर्थात्, वह राजस्व है या मूलधन है. आय के कराधान के सिद्धांत हैं:

आयकर दरें/स्लैब दर(%)

2,00,000 = शून्य, 2,50,000 तक (65 वर्ष या अधिक के निवासी व्यक्ति) = शून्य पुरुषों के लिए2,00,001 - 5,00,000 = 10% (80'वर्ष या अधिक के निवासी व्यक्ति) = शून्य5,00,001 - 10,00,000 = 20%10,00,001 से अधिक = 30%शिक्षा उपकर आय कर पर 3 प्रतिशत के दर से लागू है, अधिभार = शून्य

आवासीय स्थिति

तीन आवासीय स्थिति, अर्थात्.,(i) साधारण आवासीय निवासी (निवासी)(ii) निवासी लेकिन मामूली तौर पर निवासी नहीं और(iii) गैर निवासी. एक व्यक्ति की आवासीय स्थिति को निर्धारित करने में कई चरण शामिल होते हैसभी निवासी अपनी सभी आय के लिए कर देने के योग्य होते हैं, जिसमें भारत के बाहर आय भी शामिल है. गैर निवासियों को केवल भारत में प्राप्त या भारत में उपार्जित आय पर कर देय होता है. जो मामूली तौर पर निवासी नहीं हैं वे भारत में प्राप्त आय या भारत में अर्जित आय और भारत से नियंत्रित व्यवसाय या पेशे से होने वाले आय के संबंध में कर के योग्य हैं.आय के वर्गएक व्यक्ति का कुल आय पञ्च प्रमुखों में विभाजित है, अर्थात्, कर योग्य.

No comments:

Post a Comment