કોઈ કામ માટે ભીતરનો અવાજ ના પાડે તો તે કામ છોડી દેજો, અન્યથા પસ્તાવવાનો વખત આવશે

कैसे भरा जाता है आयकर रिटर्न



  आयकर रिटर्न दाखिल करना काफी कठिन, दुष्कर एवं थका देने वाला कार्य माना जाता है। यह देखा जाता है कि अधिकांश लोग एकदम आखिरी समय मे ही इसे दाखिल करने के लिए जल्द बाजी करते हैं। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में सरकार ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों को सहूलियत हो। समृद्धि एवं आय बढ़ने के साथ ही आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।आयकर क्या है तथा किन के लिए यह आवश्यक होता है?निजी आय पर लगने वाला कर आयकर कहलाता है, जिसे केंद्र सरकार को दिया जाता है। यह प्रत्यक्ष रूप से लगने वाला कर है, जिसे कोई व्यक्ति अथवा कंपनी/फर्म द्वारा एक निश्चित वित्तीय वर्ष के लिए भरा जाता है। आयकर विभाग, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) द्वारा नियंत्रित भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के अधीन राजस्व विभाग (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के अंतर्गत कार्य करता है।आयकर अधिनियम, 1961 (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के खंड 139 (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में वित्त अधिनियम 2010 (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के अंतर्गत कुछ बदलाव किए गए हैं, जिससे हर उस व्यक्ति के लिए आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसकी आय आयकर देने की सीमा में आती हो। साथ ही ऐसे लोग भी इसके दायरे में आ गए हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष के लिए निर्धारित अधिकतम राशि का आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया था तथा वह राशि आयकर के दायरे में नहीं थी।किसी भी ऐसे व्यक्ति को रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है, जो आधिकारिक राजपत्र में निर्दिष्ट किसी ऐसे क्षेत्र में रहता है, जो सरकार द्वारा कर मुक्त घोषित की गई हो। आयकर अधिनियम के उप खंड में इसका प्रावधान है। हालांकि यदि ऐसे क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति पचास हजार रुपए या इससे अधिक की विद्युत खपत का बिल भरता है तो वह कर के दायरे में स्वतः ही आ जाएगा या फिर निम्नलिखित में से वह किसी भी श्रेणी में है तो भी उसे कर देना होगाःअचल संपत्ति के व्यवसाय में हो तथा निर्दिष्ट से अधिक क्षेत्र का मालिक हो, किराएदार हो अथवा जो भी उल्लेखित हो; अथवायदि वह दो पहिया वाहन के अलावा किसी भी अन्य किसी मोटर वाहन का मालिक है या फिर पट्टे पर लिया हो, जिसमें चार पहिये हो तथा मोटर चलित हो। या फिर दो पहिया वाहन में दो अतिरिक्त पहिये जोड़कर उसे चार पहिया बनाया हो; अथवाखुद की अथवा किसी अन्य की विदेश यात्रा का व्यय वहन किया हो; अथवायदि किसी बैंक या संस्थान द्वारा जारी किए गए क्रेडिट कार्ड का धारक हो। “जोड़े वाला क्रेडिट कार्ड यानी एड ऑन कार्ड” नहीं।; अथवाकिसी ऐसे क्लब का सदस्य हो, जिसका सदस्यता शुल्क पचीस हजार रुपए या उससे अधिक हो।कर देयता का मूल्यांकन वर्ष 2010 -2011 के तहत इस प्रकार किया गया है:-(i) व्यक्तियों के मामले में (महिलाओं तथा उन पुरुषों के अलावा, जिनकी उम्र वित्तीय वर्ष 2009-10 के दौरान 65 वर्ष या अधिक थी) -आय (रुपए में) : कर जवाबदेही (रुपए में)1,60,000 रुपए तक: कर देयता नहीं1,60,001 रुपए से 3,00,000 रुपए तक: 10% का आयकर3,00,001 रुपए से 5,00,000 रुपए तक: 14,000 + 20% का आयकर5,00,000 रुपए से अधिक की आय पर: 54,000 + 30% का आयकर(ii) महिलाओं के मामले में (महिलाओं तथा उन पुरुषों के अलावा, जिनकी उम्र वित्तीय वर्ष 2009-10 के दौरान 65 वर्ष या अधिक थी)-आयकर (रुपए में): कर जवाबदेही (रुपए में)1,90,000 : कर देयता नहीं1,90,001 रुपए से 3,00,000 रुपए तक: 10% का आयकर3,00,001 रुपए से 5,00,000 रुपए तक: 11,000 + 20% का आयकर5,00,000 रुपए से अधिक की आय पर: 51,000+ 30% का आयकर(iii) उन लोगों के लिए जिनकी उम्र वित्तीय वर्ष 2009-10 के दौरान 65 वर्ष या अधिक थी-आयकर (रुपए में): कर देयता (रुपए में),40,000 रुपए तक: कर देयता नहीं2,40,001 रुपए से 3,00,000 रुपए तक: 10% का आयकर3,00,001 रुपए से 5,00,000 रुपए तक: 6,000 + 20% का आयकर5,00,000 रुपए से अधिक की आय पर: 46,000 + 30% का आयकरकर देयता गणना पर अधिक जानकारी यहां (97 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है से पाई जा सकती है।रिटर्न दाखिल करना आवश्यक प्रक्रिया है। यह जरूरी नहीं है कि नियोक्ता ने स्रोत पर कर काटा ही हो और न ही यह जरूरी है कि वह आयकर वापसी के लिए योग्य है या नहीं। आईटीआर दाखिल करने की प्रक्रिया को ऑनलाइन ई-फाइलिंग के तरीके से भी किया जा सकता है और मैनुअल भी। आयकर नियमों के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहां (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) क्लिक करें।भारत में सभी प्रकार के कराधान की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए उपयुक्त प्रपत्र का चयन

आयकर रिटर्न

अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आपको कुछ आवश्यक तथा अपेक्षित प्रपत्रों को भरना होता है। आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए अलग-अलग प्रकार के प्रपत्र उपलब्ध हैं, जो आपके पेशे/व्यापार/संपत्ति के आधार पर भरे जाते हैं।आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए चार प्रकार के प्रपत्र उपलब्ध हैं, जो हिंदू अविभाजित परिवार तथा व्यक्तियों के लिए हैं। यह प्रपत्र आय के स्रोत तथा स्रोतों (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के अनुसार लागू होते हैं। यह प्रपत्र हैः सरल-II (आईटीआर-1) (180 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है , आईटीआर-2 (150 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है , आईटीआर-3 (155 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है और आईटीआर-4 (266 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है ऐसे व्यक्ति जिनकी आय का स्रोत वेतन/पेंशन /पारिवारिक पेंशन तथा ब्याज है उन्हें वर्ष 2010-11 के मूल्यांकन के लिए आईटीआर-1 (180 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है प्रपत्र भरना चाहिए।अन्य जैसे कि व्यक्तियों के संघ (एओपी), एकल संघ (बीओआई), सहकारी समितियां, कंपनी तथा फर्म के लिए आईटीआर-5 (261 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है , आईटीआर-6 (256 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है तथा आईटीआर-7 (124 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है प्रपत्र लागू होते हैं।प्रयोज्यता जांच तथा आवश्यक प्रपत्रों को यहां से डाउनलोड (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) किया जा सकता है।कर्मचारी अपने कराधान, पेंशनर तथा वरिष्ठ नागरिक (100 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है अपने कर रिटर्न दाखिल - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है (114 KB) करने के लिए इस हैंडबुक का संदर्भ भी उपयोग कर सकते हैं।

हायक दस्तावेज

कर देयता की गणना (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) तथा आयकर रिटर्न दाखिल करते वक्त जिन सहायक दस्तावेजों की आवश्यकता आपको पड़ती है:फॉर्म संख्या 16 (9 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है (नियोक्ता से प्राप्त किया जाता है): फॉर्म संख्या 16 कर्मचारियों को उनके नियोक्ता द्वारा दिया जाता है, जिसमें संबंधित कर्मचारी की सालाना आय तथा उस पर लगने वाले आयकर का विवरण दिया रहता है।फॉर्म संख्या 16ए (9 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है (उन सभी दाताओं से प्राप्त किया जाता है, जिनसे कर लिया गया हो): यह फॉर्म उनसे प्राप्त किया जाता है, जो वर्ष के दौरान कर किए गए भुगतान में से कर काट चुके हों। इसमें बैंक तथा कंपनियों प्रमुख होती हैं। (जिनके साथ आप सावधि जमा रखते हैं)फॉर्म संख्या 26एएस (13 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है : राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के द्वारा आयकर विभाग उन लोगों को एक दस्तावेज भेजता है, जो आयकर के दायरे में आते हैं। इस दस्तावेज को ‘वार्षिक कर ब्यौरा’ या फॉर्म 26एएस कहते हैं। यह दस्तावेज इस बात की जानकारी देता है कि वर्ष के दौरान बैंक एवं नियोक्ता द्वारा किसी स्थायी खाता संख्या (पैन) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) पर कितनी बार लेनदेन किया गया। यह आपके अग्रिम कर/स्वमूल्यांकन कर/नियमित मूल्यांकन कर की सूचना भी देता है, जिसे आपने बैंक में जमा किया हो। आप अपने कर की ऑनलाइन क्रेडिट स्थिति भी देख (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) सकते हैं। इसके लिए आपको राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) की वेबसाइट पर पंजीयन करना होगा। (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)खाते का सार: यह आवश्यक है कि आप वित्तीय वर्ष के दौरान बैंक से किए गए सभी लेनदेन का ब्यौरा तथा सार रखें। बैंकिंग ब्यौरे में ब्याज से अर्जित आय तथा व्यय की जानकारी दी रहती है।स्वामित्व वाली संपत्ति का विवरण: यदि वित्तीय वर्ष के दौरान आपके पास कोई संपत्ति है या फिर आपने नई संपत्ति खरीदी है तो उसके कर भुगतान की समस्त रसीदों को संभालकर रखें (यदि हों तो)।खरीद तथा बिक्री का विवरणः वर्ष के दौरान किए गए निवेश या परिसंपत्तियों को बेचने का विवरण।वर्ष के दौरान किए गए अन्य करों के भुगतान का विवरणआयकर रिटर्न दाखिल करते समय स्थायी खाता संख्या (पैन) का उल्लेख करना अत्यंत आवश्यक होता है।

मैनुअल फाइलिंग

यदि आप ऑनलाइन तरीके से रिटर्न दाखिल नहीं कर पा रहे हैं तो आपको यह प्रक्रिया मैनुअल तरीके से करनी होगी। इसकी प्रक्रिया यह है:-आईटीआर फॉर्म को यहां से डाउनलोड (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) करें।अपने क्षेत्र के आयकर विभाग या कार्यालय में जाकर यह प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। अपने क्षेत्र की जानकारी यहां (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) से प्राप्त की जा सकती है।अपने दाखिल किए गए रिटर्न की रसीद जरूर प्राप्त करें।हालांकि आपको अपने रिटर्न के साथ किसी सहयोगी दस्तावेज को देने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी इसे अपने साथ रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर इन्हें दिखाया जा सके।

ई-फाइलिंग

पहले लोगों को अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए मीलों लंबा सफर करना पड़ता था, तथा घंटों लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ता था। लेकिन कुछ वर्षों पहले आयकर विभाग ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया, जिससे लोगों को सगुमता हो सके। इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन तरीके से आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को ई-फाइलिंग (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) भी कहा जाता है। इससे कर देने वालों को काफी सरलता पहुंची है। अब वो किसी भी समय, दुनिया के किसी भी कोने से अपना आयकर रिटर्न जमा कर सकते हैं।ई-फाइलिंग या इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग को भारतीय इलेक्ट्रॉनिक टैक्स प्रशासन की देन कहा जाता है। पहली बार इसकी शुरुआत सेवाकर के साथ तथा इंटरनेट आधारित इलेक्ट्रॉनिक प्रशासन प्रणाली के लिए किया गया था। केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा सीमा शुल्क विभाग ने ई-फाइलिंग की शुरुआत पहली बार अप्रैल 2003 में की थी। लेकिन यह सुविधा उस समय केवल चुनिंदा सेवाकर प्रदाताओं के लिए उपलब्ध थी।कर के दायरे में आने वाले लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए तथा ऑनलाइन फाइलिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकारों ने तय किया है कि वो अपने अधिकांश करों का भुगतान ऑनलाइन तरीके से लेंगी। इसमें मुख्यतः आयकर, अन्य प्रकार के कर, उत्पादन शुल्क तथा वैट शामिल हैं।आयकर नियम के तहत ऑनलाइन कर भुगतान की प्रकिया को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने वर्ष 2006-07 में लागू किया था। साथ ही कंपनी कर दाताओं के लिए ई-फाइलिंग अनिवार्य कर दी गई है।वर्तमान में सभी कंपनियों तथा फर्म के लिए अनुच्छेद 44एबी (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के तहत सांविधिक ऑडिट तथा आयकर रिटर्न को ई-फाइल करना आवश्यक है। ई-फाइलिंग की सुविधा न्यासों के अलावा सबके लिए उपलब्ध की जा चुकी है।

ई-फाइलिंग के चरण

आयकर ई -फाइलिंग (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) की वेबसाइट पर जाकर लॉगिन करेंवेबसाइट पर दिए गए निर्देशों को पढ़ेंउचित आयकर रिटर्न का फॉर्म डाउनलोड करें (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)रिटर्न दाखिल करने के लिए जरूरी सॉफ्टवेयर को यहां से डाउनलोड (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) करें, और रिटर्न फॉर्म चुनेंअपना रिटर्न ऑफलाइन भरें तथा एक्सएमएल (XML) फाइल बनाएंवेबसाइट पर पंजीयन करके अपना प्रयोक्ता शब्द तथा कूटशब्द बनाएंलॉगिन करके उचित फॉर्म को चुनें तथा वेबसाइट के बायीं ओर दिए गए "सबमिट रिटर्न" बटन को दबाएंएक्सएमएल (XML) फाइल को ब्राउज़ करें तथा "अपलोड" बटन दबाएं।सफलतापूर्व अपलोड होने पर एक संदेश प्रदर्शित होता है। "प्रिंट" बटन पर क्लिक करके रसीद/आईटीआर-V फॉर्म (66 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है का प्रिंटआउट ले लें।यदि आपका रिटर्न डिजिटल हस्ताक्षरित किया हुआ है तो "रसीद (29 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है" प्रदर्शित होते ही रिटर्न प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। निर्धारिती इस रसीद का प्रिंटआउट लेकर रख दस्तावेज के लिए रख सकता है।यदि आपका रिटर्न डिजिटल हस्ताक्षरित नहीं किया गया है तो ई –रिटर्न अपलोड करने के बाद आईटीआर-V फॉर्म जनरेट होता है, जिसका प्रिंटआउट कर देने वाले को लेकर रख लेना चाहिए। यही दस्तावेज रसीस सह सत्यापन फॉर्म है। कर भुगतान करने वाले को यह फॉर्म भरकर सत्यापन के लिए देना होता है। सत्यापित किए हुए आईटीआर-V (66 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है फॉर्म को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरने के 15 दिनों के भीतर ही स्थानीय आयकर विभाग के कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है। बिना डिजिटल हस्ताक्षर वाले रिटर्न की प्रक्रिया इसी के साथ्‍ पूरी हो जाती है।

विलंबित रिटर्न फाइलिंग

सामान्यतः, भारत में आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख प्रत्येक वर्ष की 31 जुलाई होती है, क्योंकि 31 मार्च को आर्थिक वर्ष का आखिरी दिन माना जाता है। केंद्र सरकार कंपनियों, साझेदारी फर्मों तथा वैयक्तिक स्तर पर आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए चार महीनों का समय देती है। जिससे उल्लेखित सभी वर्षांत तक अपने रिटर्न की जानकारी दे सकें। हालांकि आयकर अधिनियम, 1961 - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के तहत उन फर्मों तथा वैयक्तिकों को अपवाद स्वरूप राहत दी जाती है, जिनके खाता किताबों की लेखा परीक्षा प्रक्रियाधीन होती है। इस तरह की फर्मों तथा वैयक्तिकों को आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए सामान्य से अधिक समय दिया जाता है। इस स्थिति में केंद्र सरकार आयकर रिटर्न दाखिल करने की मियाद बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी जाती है, लेकिन इस मियाद का फायदा लेखा प्रक्रियाधीन फर्म तथा वैयक्तिक ही ले सकते हैं।लेकिन इस मियाद के बाद भी आयकर रिटर्न दाखिल करने में असफल रहने पर विलंबित रिटर्न दाखिल करने की सुविधा रहती है। उदाहरणार्थःयदि कोई 31 मार्च, 2010 तक आयकर रिटर्न नहीं दाखिल कर पाया है, तो वह उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत दो वर्ष के भीतर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। ऐसे में रिटर्न दाखिल करने की तिथि 31 मार्च, 2012 रहेगी। हालांकि, टैक्स फाइल करने के लिए संशोधन संलग्न है।यदि किसी कारणवश कोई करदाता आयकर रिटर्न फाइल करने में असक्षम रहता है तो, उसे एक प्रतिशत प्रति माह की दर से अर्थदंड वहन करना पड़ता है। यह दंड 31 मार्च से अगले वर्ष के छह महीने लगना शुरू होता है, जिसकी अधिकतम राशि 5,000 रुपए तक हो सकती है, जो सभी महीनों पर विलंब होने पर देय होती है। विस्तृत जानकारी के लिए यहां (114 KB) - पीडीएफ फाइल जो नई विंडों में खुलती है क्लिक करें।आयकर रिटर्न से संबंधित सभी प्रश्नों के सवाल जानने के लिए यहां क्लिक - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं करें।समय पर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा के लिए सेवाएंआयकर विभाग - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं समय पर रिटर्न दाखिल करवाने के लिए सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला से परिपूर्ण है। इन सेवाओं में पर्चे, विवरणिका, वेब आधारित जानकारी तथा रिटर्न प्रपत्र - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं शामिल हैं।करदाताओं के लिए विश्वसनीय और भरोसेमंद सेवाओं की पेशकश करने के लिए आयकर विभाग ने एक और अनोखी पहल विशेष वेबसाइट http://incometaxindiapr.gov.in/ - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के रूप में की है।किसी भी प्रकार की जानकारी या सहायता के लिए आप आयकर विभाग के जन सूचना संपर्क अधिकारी से ईमेल ask[at]incometaxindia.gov.in - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं पर या 'आयकर संपर्क केंद्र' के दूरभाष क्रमांक 0124-2438000 पर संपर्क किया जा सकता है।

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